Thursday, December 12, 2013

आओ फिर से दिया जलाएँ, आओ फिर से दिया जलाएँ

आम आदमी पार्टी कि जीत से राजनीतिक पार्टियाँ सक्ते में आ गयी हैं। इतने कम अन्तराल में इतनी बड़ी सफलता मिलना ये दिखाता है कि जनता सिर्फ और सिर्फ ईमानदारी को वोट देती है, और उसे अगर सही विकल्प मिले तो वो अपना निर्णय पूरी जिम्मेदारी से करती है, हमारे लोकतंत्र कि यही सबसे बड़ी ताक़त है। देश के वर्तमान गृहमंत्री सुशील कुमार सिंदे ने कभी कहा था कि जनता वक़्त के साथ सब भूल जाती है। दिल्ली विधानसभा का परिणाम ऐसी सोच पे एक ज़ोरदार तमाचा है।

आम आदमी पार्टी की इस जीत को सिर्फ विधायकों की संख्या में नहीं आँका जाना चाहिए, इस जीत के दूरगामी परिणाम होंगे। राजनेता अब मुद्दों पे बात करने को मज़बूर होंगे। इतने दुःख कि बात है की आज़ादी के इतने साल बाद भी धर्म और जाति आधारित राजनीति ही हावी थी, जो सिर्फ जनता की भावनाओं को भड़का के वोटों कि फ़सल काटने तक सीमित था, जनता को सीधे इन मुद्दों कुछ लेना देना नहीं था। 'आप' की इस जीत ने ये दिखा दिया कि अगर मुद्दों पे बात की जाये तो बाहुबल और धनबल कहीं नहीं टिकता।

'आप' की जीत नेताओं के विचार बदलने, जनता से जुड़े मुद्दे पे बात करने और भ्रस्टाचार को दूर करने के लिए उन्हें मज़बूर करना भी है। अब जनता को अब उम्मीद कि किरण दिखी है। साथ ही साथ आम आदमी पार्टी को अब और भी जिम्मेदारी से काम करना होगा, उनका एक भी गलत क़दम जनता की उम्मीद को तोड़ेगा, ऐसा होने पर फिर किसी और पर यकीन करना जनता के लिए बेहद मुश्किल होगा। 'आप' सिर्फ एक पार्टी नहीं अब एक उम्मीद है, मुझे पूरा यकीन है की 'आप' इस उम्मीद पर खरा उतरेगा। हमें 'आप' का समर्थन करना चाहिए और साथ ही साथ अपनी कसौटी पर रखना होगा।

आओ देश हित में एक कदम बढ़ाएं, और 'आप' से जुड़ जाएँ, राजनीति के लिए नहीं, क्रांति के लिए।

आओ फिर से दिया जलाएँ, आओ फिर से दिया जलाएँ । 

जय हिन्द!!!

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