Sunday, June 30, 2013

No Hindu, No Sikh, No Christian and No Musalman, Say Only Hindustan

देश को आज़ाद हुए 66 साल हो गए, तब भी गरीबी हटाना एक चुनौती थी और आज भी है। तब से ले कर आज तक हमारे नेता बदलते गए लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वो है उनके पीढ़िगत चुनावी वादे। वही वादे हमारे बाप दादा भी सुनते थे और आज हम भी सुनते हैं। देश का बंटवारा हुआ तब भी दंगे होते थे और आज भी होते हैं। तब भी धर्म के नाम पर खून बहते थे आज भी बहते हैं। सवाल ये है कि इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है, ये नेता या हम? क्या हमें आत्मावलोकन नहीं करना चाहिए? हम विकास की बात करते हैं, अपने-अपने विकास के मॉडल को प्रस्तुत करते हैं, लेकिन ऐसा क्या हो जाता है कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आता जाता है चुनाव के मुद्दे भी बदलते जाते हैं? फिर से हम अपने दादा जी की कहानी के यादों में चले जाते हैं।
अगर मैं सिनेमा का उदहारण दूँ तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। आपने अक्सर सुना होगा फ़िल्म निर्माताओं को कहते हुए की हम ऐसी फिल्में बनाते हैं जो पब्लिक देखना चाहती है। ठीक वैसे ही नेता हर चुनाव में वही मुद्दे बेचते हैं जिसे जनता पसंद करती है। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि जो भी मुद्दे बनते हैं उसके लिए हम सीधे तौर पे ज़िम्मेदार हैं। हमें आज़ादी तो मिल गयी लेकिन आज़ादी में जीना नहीं आया, पहले पूरी तरह से ग़ुलाम थे आज मानसिक रूप से ग़ुलाम हैं। अगर हम ऐसे लोगों को नकारना शुरू कर दें तो उनके बीच में कुछ अच्छा करने की प्रतियोगिता होगी जिसका सीधा फायदा जनता को होगा। आम आदमी पार्टी की बात मुझे अभी तक अच्छी लगी की उनका उम्मीदवार जनता चुन रही है या जनता के प्रति जवाबदेह होगी, अगर आगे भी वो ऐसे रहे और जनता उनका समर्थन करती है तो निश्चित रूप से ये हमारे देश के लिए एक मील का पत्थर होगी। मैं उनकी पार्टी का समर्थक नहीं लेकिन इस कदम का समर्थक ज़रूर हूँ। अगर ऐसा हुआ तो दूसरी पार्टी के लोग भी परंपरागत राजनीति से हट के इस तरह के रास्ते पे चलने को मजबूर होंगे। जनता को किसी भी अच्छे कदम को दिल खोल के समर्थन करना चाहिए चाहे वो किसी भी पार्टी का हो, धीरे-धीरे ऐसा करने से राजनीति में सुधार आ सकता है। हम अपने मसीहा खुद हैं, किसी दूसरे को हमारी किस्मत बदलने का मौका नहीं देना चाहिए। वक़्त आ गया है कि अब हम अपने नेताओं कि सोच से आगे बढ़ें और ये कहें:

हमारे चेहरे में हिन्दू, सिख, इसाई और मुसलमान ना देखो, इनमें सिर्फ और सिर्फ एक हिंदुस्तान देखो।

जय हिन्द !!!

Sunday, June 23, 2013

India's Oscar-winning smiling Pinki to flip toss at Wimbledon finals

The biggest gift that you can give to someone is to bring smile on his/her face. By seeing this movie "Smile Pinki", a small Oscar-winning documentary of a girl born in poor family of India who had cleft lips, I can say this confidently. Now this girl, Pinki Sonkar, is going to flip toss at Wimbledon final. Around us many people are there who need our help, by doing so we can change their life. I do not need to say much more; see this video it is sufficient to explain this.

Smile Pinki from asg on Vimeo.

Sunday, June 16, 2013

A wound that has never healed

My father died 13 years ago, 3rd May 2000, by cardiac attack. I could not see him and even could not be the part of his last journey. Never loved anyone more..... People say.. time heals. But my father's death is a wound that has never healed. It's a wound I cherish. My father was a Guru, great teacher to many and a dear friend to me not just a father. Remembering him today is not just memories, it's also lots of strength, that's what he gave me all his life. Thank him for being part of my life, every day is Father's Day for me.

Saturday, June 1, 2013

Anna to fast again at Ramlila Maidan in October for Janlokpal

अन्ना ने अक्टूबर में जनलोकपाल कानून के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन करने का निर्णय लिया |
राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रसंग पर विरोध के होते हुए भी आप की सरकार बहुमत हासिल कर सकती हैं। एफडीआई का विरोध होते हुए भी बहुमत प्राप्त कर सकती है, वैसे ही भ्रष्टाचार को रोकने वाले जनलोकपाल कानून के लिए बहुमत प्राप्त करना सरकार के लिए असंभव नहीं था। दो साल हो जाने पर भी जनलोकपाल बिल पास नहीं हुआ। इसका स्पष्ट अर्थ निकलता है कि, सरकार ने 120 करोड जनता और अण्णा हजारे के साथ धोखाधड़ी की है।

आपने मुझे जो झुठा आश्वासन दे कर मेरा अनशन तुड़वाया था, वह मेरा अधूरा अनशन फिर से उसी रामलीला मैदान पर शुरू करने का निर्णय मैंने लिया है। क्योंकि भ्रष्टाचार के कारण जनता कितनी त्रस्त है इसका अंदाजा हमेशा एयरकंडीशन में बैठने वालों को नहीं हो पाएगा। भ्रष्टाचार के कारण महंगाई ने चरमसीमा पार कर ली है। अपने परिवार को पालनेवाले आम लोगों के दुख और तकलीफ को आप और आपकी सरकार नहीं समझ रही हैं। न महसूस करती हैं।

इसलिए मजबूर हो कर मैं इस निर्णय पर आ गया हूं कि जब तक शरीर में प्राण हैं तब तक मै जनलोकपाल कानून के लिए रामलीला मैदान में अनशन पर बैठा रहूंगा। जनता का दुख अब मुझसे नहीं सहा जाता। मैंने अपना जीवन ही उनके भलाई के लिए समर्पित किया है। कुछ ही दिनों में मैं अक्टूबर में होने वाले मेरे अनशन की तारीख निश्चित कर के आपको बताऊंगा।

अण्णा हजारे
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