Thursday, December 31, 2015

जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना… Happy New Year 2016

जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाये।

नयी ज्योति के धर नये पंख झिलमिल,
उडे मर्त्य मिट्टी गगन-स्वर्ग छू ले,
लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,
निशा की गली में तिमिर राह भूले,
खुले मुक्ति का वह किरण-द्वार जगमग,
ऊषा जा न पाये, निशा आ ना पाये।

जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना
अन्धेरा धरा पर कहीं रह न जाये।

सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,
चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,
भले ही दिवाली यहां रोज आये |

जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना
अन्धेरा धरा पर कहीं रह न जाये।

मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ जग में,
नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा,
उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के,
नहीं कर सकेंगे हृदय में उजेरा,
कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे अब,
स्वयं धर मनुज दीप का रूप आये।

जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाये।

                                       - गोपालदास ‚नीरज

कविवर नीरज जी की इस कविता के सन्देश के साथ 
आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
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