कुछ दिनों से पूरे देश में जनता सड़कों पे है, और बलात्कारियों के लिए कड़े कानून की मांग कर रही है । लेकिन इन सब के पीछे सियासी पार्टियाँ कहाँ हैं? आरक्षण के नाम पे ऑफिस बंद करने वाले लोग कहाँ हैं, ट्रेन रोकने वाले लोग कहाँ गए? ये सिर्फ वही मुद्दे उठाते हैं जहाँ से ये वोटों की फसल काट सकें, इनके विधायक और सांसद खुद बलात्कार के आरोपी हैं वो ऐसे मुद्दे क्यों उठायेंगे? सारी पार्टियों को आगे आना चाहिए और जनता का साथ देना चाहिये तथा उनकी मांगों को सरकार के सामने रखना चाहिए। सरकार पर दबाव डालने से कानून के निर्माण में मदद मिलेगी तथा जनता को एक आवाज़ मिलेगी लेकिन अफ़सोस ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिख रहा। शरद पवार को एक चांटा लगा तो पूरी राजनीतिक बिरादरी एक हो गयी थी, लेकिन अब वो कहाँ हैं?
जनता को ऐसी ऊर्जा हमेशा बनाये रखना होगा, जब हमारे नेता वोट लेने आये तो उनसे सवाल करें की उन्होंने क्या किया उनके लिए? तभी कुछ हल निकलेगा, ये ऊर्जा सिर्फ कुछ दिनों की न हो । इसे आगे तक ले जाना होगा।
जनता को ऐसी ऊर्जा हमेशा बनाये रखना होगा, जब हमारे नेता वोट लेने आये तो उनसे सवाल करें की उन्होंने क्या किया उनके लिए? तभी कुछ हल निकलेगा, ये ऊर्जा सिर्फ कुछ दिनों की न हो । इसे आगे तक ले जाना होगा।
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