कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी बात तक शुद्ध हिंदी में नहीं कर सकते, वो आजकल आर्थिक विशेषज्ञ बने हुए हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं जो सरकार के विमुद्रिकरण की नीति का समर्थन करने वालों को व्यंगात्मक रूप से मोदी भक्त कहने लगते हैं। लेकिन खुद ये भूल जाते हैं को वे लोग मोदी विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि अपने तर्क का समर्थन करने के लिए न जाने कहाँ-कहाँ से वेबसाइट्स का सन्दर्भ ले रहे हैं। जनतंत्र में असहमति एवं विरोध का उतना ही अधिकार है जितना की चुनी हुई सरकारों का, लेकिन दोनों की अपनी सीमायें होती हैं। बुरे का विरोध और अच्छे की सराहना होनी चाहिए, यही जनतंत्र की बुनियाद है। विमुद्रिकरण से समस्याएं बहुत हैं, लेकिन काले धन से मुक्त होना इन समस्याओं से ज़्यादा ज़रूरी है। देशहित में और आने वाली पीढ़ियों के बेहतर भविष्य के लिए इन समस्याओँ को ये सोचते हुए कि देशहित में योगदान कर रहे हैं, बर्दाश्त करें। लोग विरोध तो कर रहे हैं लेकिन विकल्प नहीं बता रहे, ऐसे लोगों पर ध्यान न दें। उनका उद्देश्य सिर्फ मोदी विरोध का तरीका ढूंढना है, आपसे उनका कुछ लेना-देना नहीं है। मोदी से बदला लेने के लिए आपके पास वोट का विकल्प है जो आप समय आने पर उपयोग करेंगे, लेकिन देशहित में विमुद्रिकरण का सहयोग करें।
You can chain me, you can torture me, you can even destroy this body, but you will never imprison my mind: Mahatma Gandhi
Saturday, November 19, 2016
Support demonetisation even if you cannot support Modi
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