अन्ना जी ने कल अनशन ख़त्म करने का निर्णय लिया । अब सवाल ये उठता है कि क्या उनका ये फैसला सही है ? बहुत से लोग कह रहें हैं कि ये अन्ना और उनकी टीम की महत्वकांक्षा है । लेकिन अभी तक की स्थिति को देखते हुए क्या ये सोचना बेमानी नहीं लगता ? अन्ना जी ने तो पूरी कोशिश की थी की मौजूदा राजनितिक परिस्थिति से ही कुछ हल निकले और वे ही जनलोकपाल ले के आयें । लेकिन क्या ऐसा हो पाया ? अब अगर सब कुछ देखते हुए अन्ना ने ये फैसला लिया है तो क्या गलत है ? हम अपना प्रतिनिधि चुनते है जो हमारी आवाज़ बने लेकिन क्या हक़ीक़त में ऐसा होता है ? ये सही है कि कोई भी कानून संसद में ही बनता है लेकिन संसद सदस्यों की जवाबदेही किसके लिए है ? उनकी जवाबदेही सीधे तौर पे जनता के प्रति है, फिर अगर जनता कोई कानून मांगती है तो उसकी आवाज़ क्यों नहीं सुनी जनि चाहिए ?
अन्ना ने अपना अनशन ख़त्म करने का जो निर्णय लिया है वो बिलकुल सही है, क्यूंकि अगर सरकार और राजनितिक जमात उनके अनशन को महत्व ही नहीं दे रही तो अनशन जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है । अनशन प्रजातंत्र की खूबसूरती होती है, तानाशाही की नहीं ।
अब गेंद जनता के पास है उसे देखना है कि उसे कैसे खेलती है ।
अन्ना ने अपना अनशन ख़त्म करने का जो निर्णय लिया है वो बिलकुल सही है, क्यूंकि अगर सरकार और राजनितिक जमात उनके अनशन को महत्व ही नहीं दे रही तो अनशन जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है । अनशन प्रजातंत्र की खूबसूरती होती है, तानाशाही की नहीं ।
अब गेंद जनता के पास है उसे देखना है कि उसे कैसे खेलती है ।
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