कुछ-कुछ खट्टी और कुछ-कुछ मीठी यादों के साथ हम बस कुछ ही पलों में वर्ष २०११ को अलविदा कहने वाले हैं | मेरे लिए देव आनंद साहब, भूपेन हज़ारिका और जगजीत सिंह जैसी शख्सियत का इस दुनिया से हमेशा के लिए जाना सबसे दुखद रहा | वहीँ पे भारत का क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतना बहुत ही सुखद रहा | अगर जनलोकपाल संसद में पारित हो जाता तो निश्चित रूप से यह २०११ की सबसे बड़ी उपलब्धि होती और देश की जनता को हमारे राजनेताओं का सबसे बड़ा तोहफा होता लेकिन अफ़सोस की ऐसा हो नहीं पाया | मुझे उम्मीद है की अन्ना जी एक बार फिर आयेंगे और जनमानस में जनलोकपाल का दीप प्रज्जवलित करेंगे और इस बात की पूरी उम्मीद है की वर्ष २०१२ की सबसे बड़ी बात और अगर पारित हुआ तो सबसे बड़ी उपलब्धि जनलोकपाल ही होगी | भगवान देश के नेताओं को समझने की शक्ति दे | इस उम्मीद के साथ २०११ को अलविदा कहता हूँ और २०१२ का स्वागत |
Happy New Year to all of you.....
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